पहाड़ में बेरहम बेटे ने मां को बनाया अपाहिज..हाथ तोड़ा, सिर फोड़ा..घर से बाहर निकाला
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कैसा दुर्भाग्य है, जो माताएं अपने बच्चों को खून से सींचती हैं, उनकी खुशी के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर कर देती हैं, उन्हें बुढ़ापे में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है... ‘मां तब भी रोती थी, जब बेटा खाना नहीं खाता था...मां अब भी रोती है जब बेटा खाना नहीं देता है’। कैसा दुर्भाग्य है, जो माताएं अपने बच्चों को खून से सींचती हैं, उनकी खुशी के लिए अपनी पूरी जिंदगी न्योछावर कर देती हैं, उन्हें बुढ़ापे में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऊपर दिख रही तस्वीर ...Click Here to Read Full Article