...और आज हम इतिहास बनते देख रहे हैं, प्रदीप लिंग्वाण की कलम से
इतिहास ऐसे ही तो बनता है। उस वक्त ऐसा ही तो हुआ होगा। बस वक्त मीडिया कैमरा, लाइट नही थे, तो उन्होंने गीत, जागर, पँवाड़े, चौपाई, गद्य, पद्य में इतिहास आने वाली पीढ़ी को बताया। पढ़िए प्रदीप लिंग्वाण का ब्लॉग
इतिहास ऐसे ही बनता है, ऐसे ही तिलाड़ी कांड हुआ होगा, ऐसे ही बदरीनाथ जी की कृपा से सिर्फ कहने भर से गंगा वापस पलटी होगी (चण्डीघाट हरिद्वार) ऐसे ही माधो ने पुत्र बलि देकर मलेथा पानी पहुँचाया होगा। ऐसे ही कर्णावती ने मुगल सैनिकों की नाक काटी होगी। ऐसे ही गढ़वाल कुमाऊं में सामन्तो ने फूट डाल कर बैर कराया होगा, ऐसे ही फ्योंली और रूपा मरने के बाद दो फूल बने होंगे (बुरांश औऱ फ्योंली) ऐसे ही जीतू बगड़वाल को आछरी ले गयी होंगी। ऐसे ही रामी ने 12 साल तक पति का इंतजार किया। ऐसे ही बीरा बैणी के 7 भाइयों ने उसे ...
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