ऐसी कोशिश पूरे उत्तराखंड में होनी चाहिए, पहाड़ के सच्चे रखवाले हैं ऐसे लोग
मिलिए पिथौरागढ़ के ईको-वारियर्स से जो प्रतिदिन सुबह की सैर के दौरान पिथौरागढ़ से चंडाक तक के 6 किलोमीटर ट्रैक पर प्रतिदिन सफाई अभियान चलाते हैं
पहाड़ की हरी-भरी वादियों के बीच रहना किसी सुकून से कम नहीं है। मगर यही पहाड़ अब धीरे-धीरे दूषित होते जा रहे हैं। और दुख की बात यह है पहाड़ों से नाता रखने वाले खुद ही पहाड़ों की दुर्गति बना रहे हैं। हरे-भरे पहाड़ों में हरियाली की जगह अब कूड़े-कचरे ने ले ली है। एक ओर हम प्रकृति संरक्षण जैसी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं मगर उत्तराखंड के पहाड़ों पर वे सब केवल सतही बातें ही लगती हैं। क्योंकि लोगों को साफ-सफाई की कोई परवाह नहीं है। कई पहाड़ी क्षेत्रों में रात में युवक दारू पार्टी करते हैं और उसका कूड़ा, शराब की खाल...
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