उत्तराखंड: बेटे को बचाने के लिए बाप ने जमीन, बेटे की तड़प-तड़प कर मौत
डॉक्टरों ने इलाज के लिए 10 लाख रुपये मांगे तो बेटे की जान बचाने की खातिर परिजनों ने डेढ़ बीघा जमीन बेचकर अस्पताल में रकम जमा करा दी, लेकिन युवक बच नहीं सका। आगे पढ़िए पूरी खबर
किसी ने ठीक ही कहा है ‘भगवान अस्पताल की राह दुश्मन को भी ना दिखाए’। एक वक्त था जब इलाज को सेवा माना जाता था और डॉक्टर को भगवान, लेकिन अब निजी अस्पतालों ने इसी सेवा कर्म को कमर्शियल एक्टिविटी बना दिया है। घायल लोग दर्द से तड़पते रहते हैं, लेकिन अस्पताल प्रशासन इनके दर्द से बेपरवाह हो इलाज के लंबे-चौड़े बिल बनाने में व्यस्त रहता है। रुद्रपुर में भी यही हुआ। यहां एक घायल युवक को परिजनों ने मेडिसटी अस्पताल में भर्ती कराया था। ड...
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