उत्तराखंड के लिए बड़े खतरे का संकेत..20 साल में नष्ट हो गई 50 हजार हेक्टेयर वन भूमि
उत्तराखंड के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। ये समय संभलने का है, अगर इस तरफ अब भी ध्यान नहीं दिया गया तो प्रकृति हमें फिर संभलने का मौका नहीं देगी।
हरे-भरे वन क्षेत्र और जैविक संपदा उत्तराखंड की पहचान हैं। इस संपदा को हमें संजो कर रखना है, लेकिन कमर्शियल एक्टिविटीज के चलते ये संपदा नष्ट होती जा रही है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे रखना है, ये हम आज तक नहीं सीख पाए। अब हम जो खबर आपको बताने जा रहे हैं, उसे पढ़कर आपको हैरानी के साथ दुख जरूर होगा। पिछले 20 साल में उत्तराखंड ने 50 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र विकास कार्य के नाम पर खो दिया। जिसमें से 21 हजार 207 हेक्टेयर वन्य भूमि का इस्तेमाल छह अलग-अलग गतिविधियों में हुआ। इस तरह वो 50 हेक्टे...
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