उत्तराखंड: 1995 में हुआ था पहला गढ़वाली चक्रव्यूह, अब सम्मानित हुए कलाकार..भावुक हुए लोग
बदलते दौर में लोग भले ही पारंपरिक विधाओं का महत्व भूलते जा रहे हैं, लेकिन कुछ संस्थाएं हैं जो आज भी इन्हें संजीवनी देने के प्रयास में जुटी हैं। केदारघाटी मंडाण सांस्कृतिक ग्रुप ऐसी ही संस्था है।
उत्तराखंड की संस्कृति, बोली-भाषाएं और लोक विधाएं हमारी धरोहर हैं। ये हमारी संस्कृति और परंपराएं ही हैं, जो हमें हमारे अस्तित्व का अहसास कराती हैं, हमें ये बताती हैं कि हम देवभूमि उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं। बदलते वक्त के साथ लोग भले ही पारंपरिक विधाओं का महत्व भूलते जा रहे हैं, लेकिन कुछ संस्थाएं हैं जो आज भी इन्हें संजीवनी देने के प्रयास में जुटी हैं। केदारघाटी मंडाण सांस्कृतिक ग्रुप ऐसी ही संस्था है। संस्था ...
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