नमन: गढ़वाली मुहावरों के पुरोधा कंडारी जी का निधन..रुद्रप्रयाग जिला गठन में निभाई थी अहम भूमिका
13 सौ गढ़वाली कहावतों एवं मुहावरों को संजोने वाले गढ़वाली साहित्य के प्रचारक एवं पुरोधा पुष्कर कंडारी जी का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है।
ताउम्र गढ़वाली साहित्य के क्षेत्र में काम करने वाले और गढ़वाली साहित्य के प्रचारक एवं पुरोधा पुष्कर कंडारी हमेशा-हमेशा के लिए मौन हो गए हैं। पुष्कर कंडारी जिन्होंने ना केवल एक साहित्यकार के रूप में समाज में एक अहम भूमिका निभाई बल्कि एक समाजसेवी के तौर पर भी उन्होंने उत्तराखंड में सेवाएं प्रदान की। उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। बता दें कि पुष्कर कंडारी बीते 1 साल से अपने बड़े बेटे रवि शंकर भंडारी के साथ दिल्ली मे...
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