गढ़वाल: भूस्खलन ने रोकी बारात, दो दिन फंसे रहे बाराती..आखिर में 19 Km पैदल चली आई दुल्हन

शादी का मुहूर्त था, लेकिन बारात दुल्हन के गांव नहीं पहुंच सकी। हालात ऐसे बने कि दुल्हन और 10-12 स्वजनों को 19 किलोमीटर पैदल चलकर कर्णप्रयाग आना पड़ा। पढ़िए पूरी खबर

सावन...बारिश की बूंदें...रिमझिम फुहारें...ये शब्द सिर्फ कविता और किताबों में ही अच्छे लगते हैं। बारिश का सौंदर्य पहाड़ में रहने वालों के लिए किसी भयानक सपने से कम नहीं है। आसमान में बादल गरजते हैं तो डर से दिल बैठने लगता है, सांय-सांय करती नदी की आवाजें अनहोनी की दस्तक देने लगती है। मानसून के दस्तक देने के साथ ही पहाड़ में एक बार फिर तबाही का मंजर नजर आने लगा है। बारिश इस कदर मुसीबत ढा रही है कि लोगों के लिए मांगलिक आयोजन करा...
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