उत्तराखंड: बीते 17 साल से स्कूल में रात गुजार रहे हैं झापुली गांव के 12 परिवार

ये लोग सुबह गांव आते हैं, घर का काम काज निपटाते हैं और रात का खाना खाने के बाद सोने के लिए स्कूल चले जाते हैं। पिछले 17 सालों से यही चल रहा है, लेकिन कोई इनकी तकलीफ पर ध्यान नहीं दे रहा।

अगर आपके सिर पर छत है, खाने के लिए तीन वक्त का भोजन है तो खुद को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान मानिए, क्योंकि हमारे आसपास ऐसे हजारों नहीं बल्कि लाखों लोग हैं, जिन्हें आज भी ये सब मयस्सर नहीं। एसी वाले कमरों में बैठकर इनकी तकलीफ पर चर्चा तो हो सकती है, लेकिन इनके दर्द को समझा नहीं जा सकता। आज हम आपको पिथौरागढ़ के उन 12 परिवारों की कहानी बताएंगे, जिनके लिए मानसून किसी बुरे सपने से कम नहीं। ये लोग मानसून के दौरान चार महीने एक ...
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