ये गढ़वाली शॉर्ट फिल्म बेहद शानदार है, अंदर तक झकझोर देती है कहानी..आप भी देखिए
रोजगार-पैसा जरूरी है, लेकिन किस कीमत पर? गढ़वाली शॉर्ट फिल्म ‘बोल दियां ऊंमा’ कुछ ऐसे ही सवाल उठाती है।
पलायन...पहाड़ की पीड़ा। रोजगार की तलाश में पहाड़ के युवा घर-बार छोड़कर शहरों में चले जाते हैं और पीछे रह जाते हैं उनके बच्चे, घर-परिवार। जिनके लिए जिंदगी हर गुजरते दिन के साथ मुश्किल होती जाती है। न जाने हम किस सुख के पीछे भाग रहे हैं। इस सुख को पाने के लिए पूरी जिंदगी खप जाती है। हम बच्चों के साथ उनका बचपन नहीं जी पाते, जीवनसाथी संग शांति के दो पल नहीं बिता पाते। रोजगार-पैसा जरूरी है, लेकिन किस कीमत पर? गढ़वाली शॉर्ट फिल्म ‘बोल दियां ऊंमा’ ऐसे ही कुछ सवाल उठाती है। पलायन और गांव की महिलाओं की प...
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