गढ़वाल: जिस ‘जूली’ को डेढ़ साल तक बच्चे की तरह पाला, उसकी विदाई के वक्त रो पड़ा गांव

जूली जब अठखेलियां करती तो दर्शन लाल और उमा की आंखों में अलग सी चमक दिखाई देने लगती, लेकिन जूली के आने के साथ ही ये भी तय हो गया था कि एक न एक दिन उसे जाना होगा। आगे पढ़िए पूरी खबर

घर में जानवरों और पक्षियों को पालने वाले लोग उन्हें अपने परिवार और जिंदगी का हिस्सा समझने लगते हैं, उनके लिए पैट एक पशु से ज्यादा उनका साथी बन जाता है। और जब ये साथी अचानक बिछड़ता है, या दूर जाता है तो परिवार की जिंदगी मानों थम सी जाती है। चमोली के गोपेश्वर में रहने वाले दर्शन लाल और उनकी पत्नी उमा देवी भी इस वक्त ऐसे ही दुख का सामना कर रहे हैं। ये दंपति पिछले 18 महीने से एक हिरण की परवरिश कर रहा था। दोनों ने उसे जूली नाम दिया और औलाद की तरह लाड़ लुटाने लगे। जूली जब अठखेलियां करती तो दर्शन लाल औ...
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