उत्तराखंड: इन्हें जानते हैं आप? गढ़वाली-कुंमाऊनी बोली के लिए कर रहे हैं भगीरथ प्रयास
बदलते वक्त के साथ युवा पीढ़ी अपनी बोली-भाषा से लगाव खोने लगी है, लेकिन कुछ लोग हैं जो आज भी इन्हें संजीवनी देने के प्रयास में जुटे हैं। गिरीश पंत ऐसी ही शख्सियत हैं।
उत्तराखंड की संस्कृति, लोक-विधाएं और बोली-भाषा हमारी धरोहर हैं। ये हमारी परंपराएं और बोली-भाषा ही है, जो हमें हमारे अस्तित्व का अहसास कराती हैं। हमें ये बताती हैं कि हम देवभूमि उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करते हैं। बदलते वक्त के साथ युवा पीढ़ी अपनी बोली-भाषा से लगाव खोने लगी है, लेकिन कुछ लोग हैं जो आज भी इन्हें संजीवनी देने के प्रयास में जुटे हैं। युवा पीढ़ी को गढ़वाली-कुमाऊंनी से जोड़ने की अलख जगाए हुए हैं। पौड़ी गढ़वाल ...
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