उत्तराखंड: पलायन का दर्द देखिए, वीरान गांव में अकेले त्योहार मनाती हैं 56 साल की डिकरी देवी
Champawat के Kakar Village में फूलदेई पर हमेशा की तरह सन्नाटा पसरा रहा। migration के चलते पूरा गांव खाली हो गया है। (साभार- लाइव हिंदुस्तान)
अभी कुछ दिन पहले हमने फूलदेई पर्व मनाया। गांव-गांव में बच्चों की टोलियां घर-देहरी पर फूल बिखेरती नजर आईं, लेकिन लोहाघाट के काकड़ गांव में फूलदेई पर हमेशा की तरह सन्नाटा पसरा रहा। ऐसा इसलिए क्योंकि पलायन के चलते पूरा गांव खाली हो गया है।Champawat Kakar Village migration काकड़ गांव बाराकोट ब्लॉक में आता है, जहां आबादी के नाम पर सिर्फ एक महिला डिकरी देवी रहती हैं। सोमवार को डिकरी देवी ने बंजर घरों में से पड़ोस के कुछ घरों की दहलीज पर फूल और अक्षत चढ़ाए। कभी इन घरों में रहने वाले लोगों...
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