गढ़वाल राइफल का जवान: जिसका शरीर अपने गांव नहीं लौटा, लेकिन 105 साल बाद लौट आई आवाज

सौ साल गुजर गए, Garhwal Rifles के Rifleman Shib Singh kaintura अपने वतन नहीं लौट सके, लेकिन उनकी आवाज देश लौट आई है।

उत्तराखंड के युद्ध नायकों के शौर्य की कहानियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। Rifleman Shib Singh kaintura of Garhwal Rifles प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में यहां के सैकड़ों जांबाज सैनिकों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से कई जवान वापस नहीं लौट पाए। उत्तराखंड के एक ऐसे ही जवान थे गढ़वाल राइफल के सैनिक राइफलमैन शिब सिंह कैंतुरा। शिब सिंह कैंतुरा अब भले ही हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन प्रथम विश्व युद्ध के दौरान की ऑडियो रिकार्डिंग एक सदी के बाद उनके वतन पहुंची है। वो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के दौर...
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