जज्बे को सलाम..उत्तराखंड में मां-बेटे ने लिया एक ही क्लास में एडमिशन

कहते हैं सीखने की कोई उम्र नहीं होती। इस बात को साबित कर दिया है रेखा ने। उनकी पढ़ाई अधूरी छूट गई लेकिन पति ने हौसला दिया तो ये काम कर रही हैं।

मंजिलें पाने का असल हकदार वो ही है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख हैं तो क्या हुआ ? उसल उड़ान तो हौसलों में होती है। उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश की एक मां ने इस बात को साबित कर दिखाया। जब उनकी शादी हुई, तो पढ़ाई छूट गई। फिर बेटा हुआ...उसे पाला-पोसा लेकिन साथ में अपने पढ़ाई के सपने को मरने नहीं दिया। आज उसी जज्बे का परिणाम है कि मां ने अपने बेटे के साथ एक ही क्लास में एडमिशन लिया है। देहरादून जिले के त्यूनी क्षेत्र के सरनाड पानी गांव की रहने वाली 35 साल की रेखा ने एक मिसाल कायम की है। इस फैसले...
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