उत्तराखंड: बेटे ने पिता की बंदूक से खुद को मारी गोली, नौकरी ना मिलने से डिप्रेशन में था

असफलता ने प्रभात को कुछ इस कदर निराश किया कि उसने पिता की लाइसेंसी बंदूक से खुद को गोली मार ली...

खुशी और संतुष्टि का पैमाना हर किसी के लिए अलग-अलग है। एक फारसी कहावत है कि ‘मैं अपने पास जूते ना होने की बात पर तब तक रोता रहा, जब तक मैंने उस आदमी को नहीं देख लिया, जिसके पास पैर नहीं थे’। हम में से ज्यादातर लोगों का यही हाल है। अपने लिए सफलता-असलफता का पैमाना खुद ही सेट कर लेते हैं, सफलता नहीं मिलती तो बुरा लगता है, जिंदगी बेकार लगने लगती है। रुद्रपुर के रहने वाले प्रभात जागेश्वरी के साथ भी ऐसा ही हो रहा था। वो सालों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था, पर सरकारी नौकरी नहीं लग पाई। लगात...
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