चमोली आपदा के बाद भी नहीं टला खतरा, क्या सच साबित होगी विशेषज्ञों भविष्यवाणी?
रैणी वही गांव है जहां से पांच दशक पूर्व पर्यावरण की रक्षा के लिए मशहूर चिपको आंदोलन की शुरुआत हुई थी। हाल में आई आपदा दर्शाती है कि पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा गया। Chamoli Disaster: Scientists research about chamoli apda
आपदा के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। कभी यहां धरती डोलने लगती है तो कभी भूस्खलन-हिमस्खलन तबाही मचाता है। उत्तराखंड कई बड़ी आपदाओं का गवाह बन चुका है, लेकिन विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाए रखना है, ये हम आज तक नहीं सीख पाए। चमोली में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद विशेषज्ञों ने सरकार को एक बार फिर जलवायु खतरों को लेकर आगाह किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि पहाड़ी इलाकों में विकास परियोजनाओं खासकर बांधों ...
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