रेफर सेंटर बनकर रह गए पहाड़ के अस्पताल, एंबुलेंस में 6 घंटे तड़पने के बाद प्रसूता की मौत
रेनू के पति अमित ने बिलखते हुए कहा कि अगर पहाड़ में अच्छा अस्पताल और डॉक्टर होते तो उनकी पत्नी की जान नहीं जाती।
पर्वतीय इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। कहीं अस्पताल नहीं हैं तो कहीं अस्पतालों में डॉक्टर।Pregnant women died in haldwani जहां ये दोनों हैं, वहां भी मरीजों को बाहर रेफर कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है। नतीजतन कई लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और उनकी जान चली जाती है। हल्द्वानी में यही हुआ। यहां प्रसूता छह घंटे एंबुलेंस में तड़पती रही। जब तक उसे सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचाया गया, तब तक महिला की मौत हो चुकी थी। प्रसूता को पौड़ी के सरकारी अस्पताल...
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