धन्य है देवभूमि का ये शिक्षक, आशीष डंगवाल की इस मुहिम ने हर किसी का दिल जीता..देखिए
घराट अब इतिहास का हिस्सा मात्र बनकर रह गए हैं, इन्हें सहेजने के लिए शिक्षक आशीष डंगवाल ने शानदार मुहिम शुरू की है...देखिए वीडियो
सालों पहले पहाड़ के गांव-गांव में घराट होते थे, जिन्हें घट भी कहा जाता है। इन्हें पहाड़ की लाइफ लाइन कहा जाए तो गलत ना होगा, पर आधुनिकता की दौड़ में सब कुछ छूटने लगा तो घराट भी पीछे छूट गए। घराटों को पनचक्की भी कह सकते हैं, जब तक गांवों में बिजली नहीं आई थी घराटों में ही आटा पीसने का काम हुआ करता था। ये पानी के वेग से चलती थीं, इसीलिए इन्हें घट या घराट कहते हैं। घट पहाड़ की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा होने के साथ ही, लोकगीतों का हिस्सा भी बने, पर अफसोस की आज गांवों में घराटों के सिर्फ खंडहर बचे है...
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