‘’तुम ‘रैबार का गितार’ बनो रमेश’’
यह आवाज़ बुलाती है, यह आवाज़ पुकारती है। शायद पत्रकार होने के नाते यह आवाज यह सब कुछ कहती है। यह आवाज़ जब गायन के रूप में उभरती है, तो इसमें पहाड़ समाहित होता है।
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और लोकगायक अजय ढौंडियाल का कहना है कि रमेश भट्ट ‘जय जय हो देवभूमि’ गीत से एक रैबार (संदेश) गितार के रूप में स्थापित हुआ है। मुझे लगता है इनकी आवाज में रैबार है। ये ही रैबार प्रवासी उत्तराखंडियों में जाना चाहिए। यहीं नहीं ये रैबार विश्व के तमाम लोगों के बीच जान चाहिए कि उत्तराखंड सांस्कृतिक, भौगोलिक, धार्मिक दृष्टि से कितना समृद्ध है। यह सब कुछ रमेश भट्ट ने अपने गीत से किया है। रमेश भट्ट ने स्वर्गीय गोपाल बाबू गोस्वामी रचित गीत को नया रूप देकर एक नई गाथा लिखी है। यह गा...
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