उत्तराखंड: कितनी जुबानों में बोलते हो सरकार? पढ़िए इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
उत्तराखंड सरकार से निवेदन है कि बातों के लच्छे और उस पर अदालत जाने का मंसूबा बुनने के बजाय धरातल पर ठोस काम करे ताकि जनता की ऊर्जा और संसाधनों की इस तरह बर्बादी न हो ! पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार इन्द्रेश मैखुरी का ब्लॉग
एक कहावत है- सूत न कपास,जुलाहों में लट्ठम-लट्ठा। उत्तराखंड में सरकारी कार्यप्रणाली को देखें तो हालात कमोबेश ऐसे ही हैं यहाँ सरकार सूत-कपास होने से पहले ही लट्ठम-लट्ठा के स्थिति जरूर पैदा कर देती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि उत्तराखंड में सरकारें काम कम करती हैं और काम के नाम पर विवाद ज्यादा पैदा करती हैं। इसका सबसे ताजातरीन उदाहरण है,उत्तराखंड में बनने वाली एनसीसी।प्रशिक्षण अकादमी। एक सरकार ने घोषणा की कि एनसीसी अकादमी ...Click Here to Read Full Article