गढ़वाल की कमला भंडारी से कुछ सीखिए..अपने दम पर प्राकृतिक जल स्रोत को दिया पुनर्जीवन
गांव में पानी के स्रोत सूख रहे थे, खेती के लिए पानी नहीं मिल रहा था। कमला देवी पांच सालों तक जल संरक्षण अभियान में जुटी रहीं, नतीजतन प्राकृतिक स्रोत एक बार फिर पानी से भर गए।
भीषण गर्मी के दौरान पानी की कमी से जूझने वाले उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए अनूठे प्रयोग किए जा रहे हैं। पहाड़ की महिलाएं जल स्रोतों को बचाने और उनके संरक्षण में अहम योगदान दे रही हैं। चमोली की रहने वाली कमला भंडारी इनमें से एक हैं। उन्होंने अपने परंपरागत ज्ञान का इस्तेमाल कर सूख रहे पेयजल स्रोत को पुनर्जीवित करने में योगदान दिया। यही नहीं वो गांव में वर्षा जल का संग्रहण कर इस पानी का इस्तेमाल बागवानी और सब्जी उत्पादन में कर रही हैं। कर्णप्रयाग के अंतर्गत आने वाली ग्राम सभा नैणी में एक गांव है...
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